“जब पानी भी हथियार बन जाए, तब युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, नदियों के बहाव में भी लड़ा जाता है।”
22 अप्रैल 2025 का दिन — भारत के लिए एक और काला दिन बना। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला ना सिर्फ मासूम लोगों की जान ले गया, बल्कि फिर से ये सवाल उठा गया — कब तक भारत सिर्फ सहता रहेगा?
लेकिन इस बार सरकार ने जवाब दिया — गोली से नहीं, पानी से।
जी हां, इस बार जवाब था — इंडस जल संधि को रोकना।
इंडस वॉटर ट्रीटी क्या है?
इंडस जल संधि (Indus Waters Treaty) एक ऐतिहासिक जल समझौता है जो 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच साइन हुआ था। इस संधि की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी ताकि दोनों देशों के बीच पानी को लेकर भविष्य में कोई युद्ध न हो।
इसमें क्या तय हुआ था?
कुल 6 प्रमुख नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया:
भारत को मिली पूर्वी नदियाँ:
- रावी
- ब्यास
- सतलज
इन नदियों के जल पर भारत को पूर्ण अधिकार मिला — मतलब भारत इन नदियों के पानी को जैसे चाहे वैसे उपयोग कर सकता है (सिंचाई, पीने का पानी, बिजली उत्पादन आदि)।
पाकिस्तान को मिली पश्चिमी नदियाँ:
- सिंधु
- झेलम
- चिनाब
इन तीनों नदियों के जल पर मुख्यतः पाकिस्तान को अधिकार दिया गया, लेकिन भारत को इनके जल का सीमित उपयोग करने की अनुमति है — जैसे कि:
- रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स (जहाँ पानी स्टोर नहीं किया जाता)
- सिंचाई और घरेलू उपयोग
कुल मिलाकर, भारत का जल संसाधनों पर नियंत्रण होते हुए भी, हर साल करोड़ों लीटर पानी पाकिस्तान को मुफ्त में मिलता है, वो भी तब जब पाकिस्तान लगातार भारत में आतंक को सपोर्ट करता आया है।
भारत ने इसे अब क्यों रोका?
2025 में हुए पाहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिसमें सीधा हाथ पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का निकला। इससे पहले भी:
- उरी हमला (2016)
- पुलवामा हमला (2019)
- पोंछ हमला (2023)
इन सब घटनाओं में पाकिस्तान की भूमिका सामने आ चुकी है।
अब सवाल था —
“क्या हर बार सिर्फ बयान ही आएंगे?”
“या अब कोई ठोस कदम भी होगा?”
मोदी सरकार ने कहा:
“पाकिस्तान खून बहाता है और हम उसे पानी देते हैं — ये नहीं चलेगा।“
भारत के कदम — इंडस ट्रीटी को रोकने की दिशा में
- पश्चिमी नदियों पर बनाए जा रहे डैम्स और बैराज तेज़ किए गए
जैसे — पकल दुल डैम, राटले हाइड्रो प्रोजेक्ट, जो जम्मू-कश्मीर में स्थित हैं। इनसे पानी को भारत में ही रोका जा सकेगा। - पानी को डायवर्ट करने की योजना तैयार
केंद्र सरकार अब ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रही है जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को पंजाब और जम्मू में खेतों तक पहुंचाया जा सके। - ट्रीटी के प्रावधानों की समीक्षा शुरू
भारत ने विश्व बैंक और इंटरनेशनल वाटर लॉ के तहत एक तकनीकी पुनर्विचार समिति गठित की है ताकि कानूनी रूप से ट्रीटी में बदलाव संभव हो।
क्या दुनिया मानती है भारत का ये कदम सही?
- भारत का ये कदम पूरी तरह से वैध है क्योंकि संधि के अनुच्छेद-III के तहत भारत को अपने हिस्से की नदियों का इस्तेमाल करने की पूरी छूट है।
- अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी माना है कि यदि पाकिस्तान आतंक का निर्यात बंद नहीं करता, तो भारत को अपनी रणनीतिक शक्ति (पानी) का इस्तेमाल करने का अधिकार है।
अमेरिका,
फ्रांस और
इज़राइल जैसे कई देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया है।
निष्कर्ष:
इंडस जल संधि कोई सामान्य समझौता नहीं — यह भारत की सहनशीलता का प्रतीक था।
लेकिन अब देश कह रहा है:
“सहनशीलता तब तक ही जब तक दुश्मन सीमा तक है, जब दुश्मन घर में घुस जाए तो पानी भी बंद होना चाहिए।”
क्या आप मानते हैं कि अब पानी की धार भी जवाब की तलवार बन चुकी है? कमेंट कर अपनी राय ज़रूर दें।
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