“युद्ध के बाद भी अगर बातचीत हो, तो इतिहास में वो पन्ना ‘शांति समझौता’ कहलाता है। लेकिन जब उसी समझौते का लगातार उल्लंघन हो, तो सवाल उठता है — क्या दुश्मन से वाकई भरोसे की उम्मीद की जा सकती है?”
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, जब पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश एक नया देश बना — तब 1972 में हुआ एक ऐतिहासिक समझौता:
👉 “शिमला समझौता”
जो आज भी भारत-पाक रिश्तों की नींव माना जाता है — पर क्या यह नींव मजबूत है?
आइए विस्तार से जानते हैं।
📜 शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता (Shimla Agreement) 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक द्विपक्षीय समझौता है, जिसे भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने साइन किया था।
इसका उद्देश्य था:
- 1971 युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना
- कश्मीर मुद्दे को बातचीत के ज़रिए हल करना
- युद्धबंदियों की रिहाई और युद्ध के प्रभाव को खत्म करना
👉 समझौते का स्थान:
यह संधि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुई थी, इसलिए इसे “शिमला समझौता” कहा गया।
🧾 शिमला समझौते की मुख्य बातें:
- द्विपक्षीय बातचीत का वादा:
कश्मीर सहित सभी मुद्दों को दोनों देश सीधे बातचीत के माध्यम से हल करेंगे, किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाएगा। - लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) का सम्मान:
युद्ध के बाद बनी सीमा रेखा (LoC) को दोनों देश मान्यता देंगे और इसका उल्लंघन नहीं करेंगे। - युद्धबंदियों की रिहाई:
भारत ने पाकिस्तान के लगभग 93,000 युद्धबंदियों (POWs) को रिहा किया, जो कि युद्ध के बाद भारतीय सेना के कब्जे में थे। - शांति और स्थिरता का प्रयास:
दोनों देश युद्ध जैसी स्थिति से बचेंगे और शांति बनाए रखने की कोशिश करेंगे। - सीमाओं का सम्मान:
कोई भी देश जबरदस्ती दूसरे की सीमाओं को नहीं पार करेगा।
⚔️ समझौते के पीछे का इतिहास — 1971 का युद्ध
- 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना ने बर्बरता फैलाई।
- लाखों लोग भारत में शरणार्थी बनकर आए।
- भारत ने हस्तक्षेप किया और 13 दिनों में पाकिस्तान को युद्ध में हरा दिया।
नतीजा:
- बांग्लादेश का जन्म
- पाकिस्तान ने हथियार डाले
- भारत को भारी सैन्य और रणनीतिक जीत मिली
👉 इसके बाद, पाकिस्तान ने भारत से संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत की गुहार लगाई और इसी के तहत शिमला समझौता हुआ।
🤔 क्या पाकिस्तान ने शिमला समझौते का पालन किया?
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच फिर युद्ध के हालात हैं? जानिए दोनों देशों की वर्तमान स्थिति
नहीं। बिल्कुल नहीं।
समझौते के बाद भी:
- 1987 में ऑपरेशन ब्रासटैक्स के दौरान तनाव
- 1999 में कारगिल युद्ध (LoC का खुला उल्लंघन)
- 2001-02 में पार्लियामेंट अटैक
- 2008 में मुंबई हमला
- बार-बार सीज़फायर उल्लंघन
👉 हर बार पाकिस्तान ने शिमला समझौते की धज्जियां उड़ाईं, लेकिन भारत आज भी इसे एक कूटनीतिक मर्यादा मानता है।
🇮🇳 भारत की स्थिति इस समझौते को लेकर
भारत का स्टैंड हमेशा यह रहा है कि:
“हम युद्ध नहीं, वार्ता चाहते हैं — लेकिन सम्मान और विश्वास की शर्त पर।“
भारत ने आज तक कभी LoC पार करके पहला हमला नहीं किया, लेकिन हर हमले का जवाब ज़रूर दिया — उरी सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) इसके उदाहरण हैं।
🔄 क्या अब शिमला समझौता अप्रासंगिक हो चुका है?
कई रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- पाकिस्तान की ओर से समझौते का बार-बार उल्लंघन
- आतंकियों को सरकारी संरक्षण
- भारत में Hybrid War की रणनीति
इन सब वजहों से अब शिमला समझौते का राजनीतिक और व्यावहारिक महत्व कम हो गया है।
भारत को अब अपने कूटनीतिक दांव-पेच को नए सिरे से गढ़ने की ज़रूरत है।
🔚 निष्कर्ष:
शिमला समझौता एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने युद्ध के बाद शांति की उम्मीद जगाई थी।
लेकिन पाकिस्तान की दोगली नीति और भरोसा तोड़ने वाले रवैये ने इसे खोखला बना दिया।
अब वक्त है कि भारत अपने सिद्धांतों के साथ रणनीति भी बदले।
“जब सामने वाला वचन निभाना नहीं जानता, तो समझौते सिर्फ कागज़ के टुकड़े बन जाते हैं।”
आपका क्या मानना है?
क्या शिमला समझौते को अब रद्द कर देना चाहिए?
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